राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षा आम जनता के लिए मुसीबत बन रही है सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में आमजन को प्रतियोगी परीक्षाओं के बीच में लगने वाली इंटरनेट सेवा की पाबंदी से राहत नही मिल पा रही है । पिछली सरकार के समय न्यायालय में शपथ पत्र पेश कर कहा था कि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अब इंटरनेट सेवा पर पाबंदी नहीं लगाई जाएगी । लेकिन नकल गिरोह पर कमजोर नकेल की वजह से सरकार को पहले रीट और अब फिर पटवार भर्ती में इंटनेट सेवा बंद करानी पड़ी । त्योहारी सीजन में इंटरनेट सेवा बंद होने का सबसे ज्यादा खामियाजा आमजन के साथ व्यापारियों को भुगतना पड़ रहा हैं खास बात यह है कि इंटरनेट सेवा बंद करने के बाद भी सरकार नकल गिरोह पर पूरी तरह पाबंदी नहीं लगा सकी ।
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो रीट व पटवार में इंटरनेट बंद होने की वजह से 800 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ । जबकि 400 करोड़ से ज्यादा का नुकसान भी हुआ है । वर्ष 2018 में हुई रोट परीक्षा के दौरान भी सरकार ने इंटरनेट सेवा बंद हुई थी । इसके बाद धीरेन्द्र सिंह की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी । इस पर सरकार ने शपथ पत्र पेश कर कहा कि राजस्थान में भविष्य में होने वाली किसी भी प्रतियोगी परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद नहीं होगा । इस पर न्यायाधीश संगीत लोखा बदिनेश मेहता की खंडपीठ ने शपथ पत्र के आधार पर याचिका सारहीन की थी ।
जरूरी सेवा में शामिल है इंटरनेट :
इंटरनेट सेवा जरूरी सेवाओं में शामिल है । व्यापार एवं व्यवसाय से अधिकांश गतिविधियां जुड़ी इंटनेटर पर ही आधारित हैं । परीक्षाओं के दौरान इंटरनेट सेवा बंद होने से बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं और बिजनेस ट्रांजेक्शन रुक जाते हैं ।
कैसे लगता है बैन:
केंद्र सरकार या राज्य सरकार के गृह सचिव की तरफ से इंटरनेट बैन करने का आदेश दिया जाता है । यह आदेश एसपी या ऊपर के अधिकारी की तरफ से मोबाइल कंपनियों को भेजा जाता है । इस आदेश पर केंद्र सरकार या राज्य सरकार का रिव्यू पैनल पहले समीक्षा करता है ।